Ghazals of Obaid Siddiqi
नाम | उबैद सिद्दीक़ी |
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अंग्रेज़ी नाम | Obaid Siddiqi |
जन्म की तारीख | 1957 |
जन्म स्थान | Uttar Pradesh |
ज़मीन बार-हा बदली ज़माँ नहीं बदला
ये शहर-ए-तरब देख बयाबान में क्या है
यक़ीनन हम को घर अच्छे लगे थे
उस के परतव से हुआ है ज़ाफ़रानी रंग का
तू भी फ़रियादी हुआ था इल्तिजा मैं ने भी की
तिरी निस्बत से अपनी ज़ात का इदराक करने में
रंग हवा में फैल रहा है
पहले इक मौज-ए-हवा आती है
नुक़सान क्या बताएँ हमारा किया बहुत
मुझे अब नया इक बदन चाहिए
मंज़र रोज़ बदल देता हूँ अपनी नर्म-ख़याली से
मैं ख़्वाब अपने सारे नीलाम कर रहा हूँ
मैं फ़र्द-ए-जुर्म तेरी तय्यार कर रहा हूँ
क्या सुने कोई ज़बानी मेरी
क्या फिर ज़मीन दिल की नमनाक हो रही है
कोई कुछ बताएगा क्या हो गया
ख़्वाब आँखों में सवाली ही रहे
ख़ुश्क दरियाओं को पानी दे ख़ुदा
कार-ए-दुनिया के तक़ाज़ों को निभाने में कटी
कैसे बदल रहे हो बताता नहीं है क्या
कभी कभी ये सूना-पन खल जाता है
कब तक उस का हिज्र मनाता सहरा छोड़ दिया
होंट खुलें तो निकले वाह
हवा-ए-शाम न जाने कहाँ से आती है
हमें कुछ और जीना है तो दिल को शाद रक्खेंगे
दुनिया को इस बार फ़साना कर दूँगा
दयार-ए-ख़्वाब से आगे सफ़र करने का दिन है
दरिया जो चढ़ा है वो उतरने नहीं देना
बैठे बिठाए आज फिर किस का ख़याल आ गया
अपने बाद हक़ीक़त या अफ़्साना छोड़ा था