निगह-ए-नाज़ से इस चुस्त क़बा ने देखा
शौक़ बेताब गुल-ए-चाक-ए-गरेबाँ समझा
Javed Akhtar
Habib Jalib
Anwar Masood
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Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Gulzar
Parveen Shakir
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जम गए राह में हम नक़्श-ए-क़दम की सूरत
महव-ए-लिक़ा जो हैं मलकूती-ख़िसाल हैं
छू ले सबा जो आ के मिरे गुल-बदन के पाँव
यही तमन्ना-ए-दिल है उन की जिधर को रुख़ हो उधर को चलिए
हम को भरम ने बहर-ए-तवहहुम बना दिया
बुराई भलाई की सूरत हुई
दिल भी अब पहलू-तही करने लगा
नैरंग-ए-इश्क़ आज तो हो जाए कुछ मदद
सिक्का अपना नहीं जमता है तुम्हारे दिल पर
दिल-ए-शहीद हुआ है शहीद-ए-हुस्न-ए-सिफ़ात
दिल-ए-ज़िंदा ख़ुद रहनुमा हो गया