Ghazals of Parveen Fana Syed

Ghazals of Parveen Fana Syed
नामपरवीन फ़ना सय्यद
अंग्रेज़ी नामParveen Fana Syed
जन्म की तारीख1936
जन्म स्थानRawalpindi

उठी थीं आँधियाँ जिन को बुझाने

तुझ को अब कोई शिकायत तो नहीं

सोचते हैं तो कर गुज़रते हैं

सँवारे आख़िरत या ज़िंदगी को

क्या ग़ज़ब तू ने ऐ बहार किया

ख़ुद को जब तेरे मुक़ाबिल पाया

काश तूफ़ाँ में सफ़ीने को उतारा होता

जिधर नज़रें उठाएँ तीरगी है

जब बाँटना ही अज़ाब ठहरा

हर सम्त सुकूत बोलता है

इक इक को इताब बाँटते हो

दिल जलाया तिरी ख़ुशी के लिए

दश्त मेरी ही दुहाई देगा

दर्द की रात ने ये रंग भी दिखलाए हैं

दम-ब-ख़ुद गुलशनों की रानाई

चोट नई है लेकिन ज़ख़्म पुराना है

ब-ज़ाहिर ये जो बेगाने बहुत हैं

अहल-ए-ग़म आओ ज़रा सैर-ए-गुलिस्ताँ कर लें

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