दिए जाएँगे कब तक शैख़-साहिब कुफ़्र के फ़तवे
रहेंगी उन के संददुक़चा में दीं की कुंजियाँ कब तक
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Anwar Masood
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हिज्र में ग़म की चढ़ाई है इलाही तौबा
उसी दिन से मुझे दोनों की बर्बादी का ख़तरा था
हज़ार शर्म करो वस्ल में हज़ार लिहाज़
न आया कर के व'अदा वस्ल का इक़रार था क्या था
मेरे लिए हज़ार करे एहतिमाम हिर्स
बहुत से ज़मीं में दबाए गए हैं
इक अदना सा पर्दा है इक अदना सा तफ़ावुत
मुझे जब मार ही डाला तो अब दोनों बराबर हैं
मेरी इज़्ज़त बढ़ गई इक पान में
मुद्दत से इश्तियाक़ है बोस-ओ-कनार का
महफ़िल में ग़ैर ही को न हर बार देखना