Ghazals of Prakhar Malviya Kanha

Ghazals of Prakhar Malviya Kanha
नामप्रखर मालवीय कान्हा
अंग्रेज़ी नामPrakhar Malviya Kanha
जन्म की तारीख 1991
जन्म स्थानUttar Pradesh

वो मिरे सीने से आख़िर आ लगा

तीरगी से रौशनी का हो गया

सितम देखो कि जो खोटा नहीं है

सागर भी तो क़तरा निकला

रो-धो के सब कुछ अच्छा हो जाता है

पिछली तारीख़ का अख़बार सँभाले हुए हैं

मैं न सोया रात सारी तुम कहो

मैं भी गुम माज़ी में था

कहीं जीने से मैं डरने लगा तो

इश्क़ का रोग भला कैसे पलेगा मुझ से

एक डर सा लगा हुआ है मुझे

बहुत उकता गया जब शाइ'री से

आग है ख़ूब थोड़ा पानी है

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