सारी बे-रंग सोच के चेहरे
लफ़्ज़ पहनें तो फिर निखरते हैं
Wasi Shah
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Gulzar
Rahat Indori
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Habib Jalib
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मैं तो सब कुछ भूल चुका हूँ
बात कैसी भी हो अंदाज़ नया देता था
दिल धड़कने का सबब क्या होगा
कैसे तन्हा रात कटेगी
कुछ रिश्ते हैं जिन की ख़ातिर
छुपी है अन-गिनत चिंगारियाँ लफ़्ज़ों के दामन में
जाने क्यूँ लोग मिरा नाम पढ़ा करते हैं
शंकर बना के लोग मुझे पूजते रहे
रंग तेरा उड़ा उड़ा सा है
रंज-ओ-ग़म से जो बे-ख़बर होता
शाम हुई तो सूरज सोचे
मुझ को याद रहा तू भूला