शंकर बना के लोग मुझे पूजते रहे
मजबूरियों में ज़हर निगलना पड़ा मुझे
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Rahat Indori
Habib Jalib
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
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Sharabi Poetry
Friends Poetry
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आग लगाई तुम ने ही तो
बात कैसी भी हो अंदाज़ नया देता था
रंज-ओ-ग़म से जो बे-ख़बर होता
दिल में ग़म आँख में हँसी देखी
तेरी चाहत की है इतनी शिद्दत
तेरे मेरे बीच नहीं है ख़ून का रिश्ता फिर भी क्यूँ
सारी बे-रंग सोच के चेहरे
फूल सा इक खिला है आँखों में
रंग तेरा उड़ा उड़ा सा है
छुपी है अन-गिनत चिंगारियाँ लफ़्ज़ों के दामन में
सारी सारी रात मैं जागा