आग लगाई तुम ने ही तो
लोगों ने तो सिर्फ़ हवा दी
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Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
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शंकर बना के लोग मुझे पूजते रहे
कैसे तन्हा रात कटेगी
रंग तेरा उड़ा उड़ा सा है
जिस पर तमाम उम्र बहुत नाज़ था मुझे
बात कैसी भी हो अंदाज़ नया देता था
पहली साँस पे मैं रोया था आख़िरी साँस पे दुनिया
छुपी है अन-गिनत चिंगारियाँ लफ़्ज़ों के दामन में
सारी सारी रात मैं जागा
दिल धड़कने का सबब क्या होगा
फूल सा इक खिला है आँखों में
शाम हुई तो सूरज सोचे