दिल धड़कने का सबब क्या होगा
फिर तुझे ख़्वाब में देखा होगा
फूल के चेहरे ये शबनम कैसी
आसमाँ रात में रोया होगा
जिस ने ख़्वाबों में समुंदर देखे
उस की तक़दीर में सहरा होगा
तुझ से बिछड़ा तो गुमाँ होता है
जाने क्या मैं ने गँवाया होगा
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तेरी चाहत की है इतनी शिद्दत
छुपी है अन-गिनत चिंगारियाँ लफ़्ज़ों के दामन में
कुछ रिश्ते हैं जिन की ख़ातिर
दिल में ग़म आँख में हँसी देखी
भीक दे कर न जाने क्या लेंगे
मुझ को याद रहा तू भूला
शाम हुई तो सूरज सोचे
शंकर बना के लोग मुझे पूजते रहे
आग लगाई तुम ने ही तो
तेरे मेरे बीच नहीं है ख़ून का रिश्ता फिर भी क्यूँ
फूल सा इक खिला है आँखों में
पहली साँस पे मैं रोया था आख़िरी साँस पे दुनिया