कुछ रिश्ते हैं जिन की ख़ातिर
जीते जी मरना होता है
Parveen Shakir
Gulzar
Rahat Indori
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Wasi Shah
Habib Jalib
Javed Akhtar
Jaun Eliya
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भीक दे कर न जाने क्या लेंगे
रंज-ओ-ग़म से जो बे-ख़बर होता
है मिरे दिल की ये तस्वीर नज़र में रख लो
कैसे तन्हा रात कटेगी
जाने क्यूँ लोग मिरा नाम पढ़ा करते हैं
बात कैसी भी हो अंदाज़ नया देता था
दिल में ग़म आँख में हँसी देखी
शंकर बना के लोग मुझे पूजते रहे
तेरे मेरे बीच नहीं है ख़ून का रिश्ता फिर भी क्यूँ
फूल सा इक खिला है आँखों में
खेल-कूद कर शाम ढले क्यूँ