गंदुमी रंग जो है दुनिया में
मेरी छाती पे मूँग दलता है
Jaun Eliya
Gulzar
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Anwar Masood
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(278) Peoples Rate This
'क़ाएम' हयात-ओ-मर्ग-ए-बुज़-ओ-गाव में हैं नफ़अ
पास-ए-इख़्लास सख़्त है तकलीफ़
मय पी जो चाहे आतिश-ए-दोज़ख़ से तू नजात
वाशुद की दिल के और कोई राह ही नहीं
दुर्द पी लेते हैं और दाग़ पचा जाते हैं
जिस को हस्ती ओ अदम जानते हैं
ओहदे से तेरे हम को बर आया न जाएगा
हर-चंद दुख-दही से ज़माने को इश्क़ है
मैं कहा ख़ल्क़ तुम्हारी जो कमर कहती है
क़ाएम मैं ग़ज़ल तौर किया रेख़्ता वर्ना
हर इक सूरत में तुझ को जानते हैं
दुख़्तर-ए-रज़ तो है बेटी सी तिरे ऊपर हराम