सोच लो कल कहीं आँसू न बहाने पड़ जाएँ
ख़ून का क्या है रगों में वो यूँही खौलता है
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Parveen Shakir
Rahat Indori
Anwar Masood
Gulzar
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(676) Peoples Rate This
हाथ उठाता है दुआओं को फ़लक भी उस दम
कुछ परिंदों को तो बस दो चार दाने चाहिएँ
दोस्तों का क्या है वो तो यूँ भी मिल जाते हैं मुफ़्त
ख़ज़ाना कौन सा उस पार होगा
बड़ी तस्वीर लटका दी है अपनी
कौन पढ़ता है यहाँ खोल के अब दिल की किताब
मैं ने तो ब'अद में तोड़ा था इसे
किया ईजाद जिस ने भी ख़ुदा को
जुस्तुजू का इक अजब सिलसिला ता-उम्र रहा
जितनी बटनी थी बट चुकी ये ज़मीं
लिख लिख के आँसुओं से दीवान कर लिया है