राजेन्द्र मनचंदा बानी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का राजेन्द्र मनचंदा बानी (page 3)

राजेन्द्र मनचंदा बानी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का राजेन्द्र मनचंदा बानी (page 3)
नामराजेन्द्र मनचंदा बानी
अंग्रेज़ी नामRajinder Manchanda, Bani
जन्म की तारीख1932
मौत की तिथि1981
जन्म स्थानDelhi

सदा-ए-दिल इबादत की तरह थी

रही न यारो आख़िर सकत हवाओं में

क़दम ज़मीं पे न थे राह हम बदलते क्या

पी चुके थे ज़हर-ए-ग़म ख़स्ता-जाँ पड़े थे हम चैन था

फिर वही तू साथ मेरे फिर वही बस्ती पुरानी

पैहम मौज-ए-इमकानी में

न मंज़िलें थीं न कुछ दिल में था न सर में था

न जाने कल हों कहाँ साथ अब हवा के हैं

न हरीफ़ाना मिरे सामने आ मैं क्या हूँ

मुझ से इक इक क़दम पर बिछड़ता हुआ कौन था

मुझे पता था कि ये हादसा भी होना था

मोड़ था कैसा तुझे था खोने वाला मैं

मिरे बदन में पिघलता हुआ सा कुछ तो है

मेहराब न क़िंदील न असरार न तमसील

मस्त उड़ते परिंदों को आवाज़ मत दो कि डर जाएँगे

मैं उस की बात की तरदीद करने वाला था

मैं चुप खड़ा था तअल्लुक़ में इख़्तिसार जो था

लिबास उस का अलामत की तरह था

कोई भूली हुई शय ताक़-ए-हर-मंज़र पे रक्खी थी

ख़ाक ओ ख़ूँ की वुसअतों से बा-ख़बर करती हुई

कहाँ तलाश करूँ अब उफ़ुक़ कहानी का

इधर की आएगी इक रौ उधर की आएगी

हम हैं मंज़र सियह आसमानों का है

हरी सुनहरी ख़ाक उड़ाने वाला मैं

हमें लपकती हवा पर सवार ले आई

गुज़र रहा हूँ सियह अंधे फ़ासलों से मैं

घनी-घनेरी रात में डरने वाला मैं

ग़ाएब हर मंज़र मेरा

फ़ज़ा कि फिर आसमान भर थी

इक गुल-ए-तर भी शरर से निकला

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