रखना हमेशा याद ये मेरा कहा हुआ
आता नहीं है लूट के पानी बहा हुआ
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हर इक की है पसंद अपनी हर इक का है मिज़ाज अपना
हर शख़्स यहाँ साहिब-ए-इदराक नहीं है
रखो तुम बंद बे-शक अपनी घड़ियाँ
मेरे ख़त का जवाब आया था
तुम्हारी राह में आँखें बिछाए बैठा हूँ
हमारा दिल तो ग़म में भी ख़ुशी महसूस करता है
मसअले हल करते करते आदमी का ज़ेहन भी
रहे ख़याल हिक़ारत से देखने वालो
हम ने दुनिया से सुलूक ऐसा किया है 'राना'
तुम्हें ऐ काश कोई राज़ ये समझा गया होता
ऐ ख़ुदा मैं सुन रहा हूँ आहटें उस वक़्त की