हम को 'रियाज़' जानते हैं मानते हैं सब
हिन्दोस्तान में धूम हमारी ज़बाँ की है
Mohsin Naqvi
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Jaun Eliya
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
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ग़रीब हम हैं ग़रीबों की भी ख़ुशी हो जाए
बाम पर आए कितनी शान से आज
ख़ुदा के हाथ है बिकना न बिकना मय का ऐ साक़ी
मर गया हूँ पे तअ'ल्लुक़ है ये मय-ख़ाने से
कह के मैं दिल की कहानी किस क़दर खोया गया
'रियाज़' आने में है उन के अभी देर
जाम है तौबा-शिकन तौबा मिरी जाम-शिकन
जवानी मय-ए-अरग़वानी से अच्छी
मैं उठा रक्खूँ न कुछ इन के लिए
ज़र्फ़-ए-वज़ू है जाम है इक ख़म है इक सुबू
न आया हमें इश्क़ करना न आया