जाम है तौबा-शिकन तौबा मिरी जाम-शिकन
सामने ढेर हैं टूटे हुए पैमानों के
Wasi Shah
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Allama Iqbal
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Mir Taqi Mir
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Jaun Eliya
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
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ये काली काली बोतलें जो हैं शराब की
जो पिलाए वो रहे यारब मय-ओ-साग़र से ख़ुश
बाम पर आए कितनी शान से आज
मर गए फिर भी तअल्लुक़ है ये मय-ख़ाने से
ज़िद हमारी दुआ से होती है
वो कौन है दुनिया में जिसे ग़म नहीं होता
रंग लाएगा दीदा-ए-पुर-आब
मय-ख़ाने में मज़ार हमारा अगर बना
आप आए तो ख़याल-ए-दिल-ए-नाशाद आया
कोई मुँह चूम लेगा इस नहीं पर
हमारी आँखों में आओ तो हम दिखाएँ तुम्हें
इस वास्ते कि आव-भगत मय-कदे में हो