ये हमीं हैं कि तिरा दर्द छुपा कर दिल में
काम दुनिया के ब-दस्तूर किए जाते हैं
Anwar Masood
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Gulzar
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(763) Peoples Rate This
उलझनों में कैसे इत्मीनान-ए-दिल पैदा करें
जो देखिए तो करम इश्क़ पर ज़रा भी नहीं
हवस-परस्त अदीबों पे हद लगे कोई
रवाँ है क़ाफ़िला-ए-रूह-ए-इलतिफ़ात अभी
जो हमारे सफ़र का क़िस्सा है
आप के लब पे और वफ़ा की क़सम
भीड़ तन्हाइयों का मेला है
आईना बन जाइए जल्वा-असर हो जाइए
काम आएगी मिज़ाज-ए-इश्क़ की आशुफ़्तगी
आईना कैसा था वो शाम-ए-शकेबाई का
सौ बार जिस को देख के हैरान हो चुके
पस्ती ने बुलंदी को बनाया है हक़ीक़त