हुस्न-ए-बे-पर्दा की यलग़ार लिए बैठे हैं
तिरछी नज़रों के कड़े वार लिए बैठे हैं
देखिए कौन शहादत की सआदत पाए
हाथ में आज वो तलवार लिए बैठे हैं
Anwar Masood
Rahat Indori
Jaun Eliya
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Gulzar
Wasi Shah
Javed Akhtar
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दिन गुज़रता है उन की यादों में
रुख़ उन का कहीं और नज़र और तरफ़ है
जी भर के तुम्हें देख लूँ तस्कीन हो कुछ तो
चाँदनी रात में शानों से ढलकती चादर
सेहन-ए-गुलशन में ढूँडती है कभी
दिल की धड़कन के पयामात से डर जाते हैं
और मोड़ ने कहा
हम जो काफ़िर हैं सब की नज़रों में
ये कैसी सियासत है मिरे मुल्क पे हावी
हो कर दुनिया से बेगाना
अजनबी
दिल में ले कर हम आस फिरते रहे