यूँ न रह रह कर हमें तरसाइए
आइए आ जाइए आ जाइए
फिर वही दानिस्ता ठोकर खाइए
फिर मिरी आग़ोश में गिर जाइए
मेरी दुनिया मुंतज़िर है आप की
अपनी दुनिया छोड़ कर आ जाइए
ये हवा साग़र ये हल्की चाँदनी
जी मैं आता है यहीं मर जाइए
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आओ इक सज्दा करूँ आलम-ए-बद-सम्ती में
सैलाब-ए-तबस्सुम से दरमान-ए-जराहत कर
आँख तुम्हारी मस्त भी है और मस्ती का पैमाना भी
हम आँखों से भी अर्ज़-ए-तमन्ना नहीं करते
फिर रह-ए-इश्क़ वही ज़ाद-ए-सफ़र माँगे है
ख़िरामाँ ख़िरामाँ मोअत्तर मोअत्तर
होली
पनघट की रानी
यही सहबा यही साग़र यही पैमाना है
दश्त में क़ैस नहीं कोह पे फ़रहाद नहीं
नग़्मे हवा ने छेड़े फ़ितरत की बाँसुरी में