याद का ज़ख़्म भी हम तुझ को नहीं दे सकते
देख किस आलम-ए-ग़ुर्बत में मिले हैं तुझ से
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Gulzar
Wasi Shah
Jaun Eliya
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(668) Peoples Rate This
मैं उसे तुझ से मिला देता मगर दिल मेरे
जुनूँ तब्दीली-ए-मौसम का तक़रीरों की हद तक है
क्या अजब कार-ए-तहय्युर है सुपुर्द-ए-नार-ए-इश्क़
चराग़-ए-याद की लौ हम-सफ़र कहाँ तक है
तू ने देखा नहीं इक शख़्स के जाने से 'सलीम'
अब जो लहर है पल भर बाद नहीं होगी यानी
सफ़र की इब्तिदा हुई कि तेरा ध्यान आ गया
जो मिरी रियाज़त-ए-नीम-शब को 'सलीम' सुब्ह न मिल सकी
दुनिया अच्छी भी नहीं लगती हम ऐसों को 'सलीम'
मैं ख़याल हूँ किसी और का मुझे सोचता कोई और है
क़ुर्बतें होते हुए भी फ़ासलों में क़ैद हैं
कैसे हंगामा-ए-फ़ुर्सत में मिले हैं तुझ से