सौ तरह का मेरे लिए सामान क्या
पूरा इक उम्र का अरमान क्या
सय्यद से मिला प मदरसा भी देखा
'हाली' ने अजब तरह का एहसान किया
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Habib Jalib
Javed Akhtar
Rahat Indori
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
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जिए जाएँगे हम भी लब पे दम जब तक नहीं आता
ख़मोशी से मुसीबत और भी संगीन होती है
दिल मोरिद-ए-ईज़ा-ओ-बला होता है
बाज़ अहल-ए-वतन से अब भी दुख पाता हूँ
अर्बाब-ए-क़ुयूद तुझ को क्या देखेंगे
परवानों का तो हश्र जो होना था हो चुका
हर हाल में आबरू-ए-फ़न लाज़िम है
मिलेगा ग़ैर भी उन के गले ब-शौक़ ऐ दिल
क्या फ़क़त तालिब-ए-दीदार था मूसा तेरा
चालाक हैं सब के सब बढ़ते जाते हैं
अब इंतिहा का तिरे ज़िक्र में असर आया
रौशन है कि शाद-ए-सुख़न-आरा मैं हूँ