अब मिरा दर्द मिरी जान हुआ जाता है
ऐ मिरे चारागरो अब मुझे अच्छा न करो
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Gulzar
Wasi Shah
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Habib Jalib
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(402) Peoples Rate This
उड़ते हुए आते हैं अभी संग-ए-तमन्ना
न मिले वो तो तलाश उस की भी रहती है मुझे
जान मुक़द्दर में थी जान से प्यारा न था
चाहे अब आप भी मुझे आसेब ही कहें
डूब जाएँगे सितारे और बिखर जाएगी रात
जो दिल में खटकती है कभी कह भी सकोगे
शब की तन्हाइयों में याद उस की
बे-हुनर हाथ चमकने लगा सूरज की तरह
वाक़िआ कुछ भी हो सच कहने में रुस्वाई है
सब्त है चेहरों पे चुप बन में अंधेरा हो चुका
लेते हैं लोग साँस भी अब एहतियात से
पैरहन चुस्त हवा सुस्त खड़ी दीवारें