बे-हुनर हाथ चमकने लगा सूरज की तरह
आज हम किस से मिले आज किसे छू आए
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ये सोच कर कि तेरी जबीं पर न बल पड़े
बे-ताबी-ए-ग़म-हा-ए-दरूँ कम नहीं होगी
पैरहन चुस्त हवा सुस्त खड़ी दीवारें
हुस्न बाज़ार की ज़ीनत है मगर है तो सही
दिल पर भी आओ एक नज़र डालते चलें
गुज़र ही जाएगी 'शहज़ाद' जो गुज़रनी है
ज़मीन नाव मिरी बादबाँ मिरे अफ़्लाक
शायद इसी बाइस हुईं पत्थर मिरी आँखें
कैसे गुज़र सकेंगे ज़माने बहार के
ये अलग बात ज़बाँ साथ न दे पाएगी
तिरी तलाश तो क्या तेरी आस भी न रहे
हौसला है तो सफ़ीनों के अलम लहराओ