हर दिल में छुपा है तीर कोई हर पाँव में है ज़ंजीर कोई
पूछे कोई इन से ग़म के मज़े जो प्यार की बातें करते हैं
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Anwar Masood
Wasi Shah
Rahat Indori
Parveen Shakir
Habib Jalib
Jaun Eliya
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(632) Peoples Rate This
ग़म-ए-इश्क़ रह गया है ग़म-ए-जुस्तुजू में ढल कर
दिल की बर्बादियों पे नाज़ाँ हूँ
नग़्मा-ए-इश्क़ सुनाता हूँ मैं इस शान के साथ
नसीब दर पे तिरे आज़माने आया हूँ
हर गोशा-ए-नज़र में समाए हुए हो तुम
शाम-ए-ग़म करवट बदलता ही नहीं
ख़ाना-ए-उम्मीद बे-नूर-ओ-ज़िया होने को है
कब तक 'शकील' दिल को दुआ कीजिएगा आप
सरगुज़िश्त-ए-दिल को रूदाद-ए-जहाँ समझा था मैं
तम्हीद-ए-सितम और है तकमील-ए-जफ़ा और
मुझ को साक़ी ने जो रुख़्सत किया मय-ख़ाने से
बे-ख़ुदी है न होशियारी है