कोई दिलकश नज़ारा हो कोई दिलचस्प मंज़र हो
तबीअत ख़ुद बहल जाती है बहलाई नहीं जाती
Habib Jalib
Gulzar
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
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Allama Iqbal
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
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ख़ुश हूँ कि मिरा हुस्न-ए-तलब काम तो आया
कभी यक-ब-यक तवज्जोह कभी दफ़अतन तग़ाफ़ुल
दिल में किसी ख़लिश का गुज़र चाहता हूँ मैं
बहार आई किसी का सामना करने का वक़्त आया
जीने वाले क़ज़ा से डरते हैं
न सोचा था ये दिल लगाने से पहले
तक़दीर की गर्दिश क्या कम थी इस पर ये क़यामत कर बैठे
ग़म की दुनिया रहे आबाद 'शकील'
हर चीज़ नहीं है मरकज़ पर इक ज़र्रा इधर इक ज़र्रा उधर
भेज दी तस्वीर अपनी उन को ये लिख कर 'शकील'
उन की तस्वीर देख कर
मिरी ज़िंदगी पे न मुस्कुरा मुझे ज़िंदगी का अलम नहीं