अगर हमारे ही दिल में ठिकाना चाहिए था
तो फिर तुझे ज़रा पहले बताना चाहिए था
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मसअला ख़त्म हुआ चाहता है
हर कोने से तेरी ख़ुशबू आएगी
न कोई ख़्वाब कमाया न आँख ख़ाली हुई
अश्क पीने के लिए ख़ाक उड़ाने के लिए
वो लोग आएँ जिन्हें हौसला ज़ियादा है
खाने को तो ज़हर भी खाया जा सकता है
इक बीमार वसिय्यत करने वाला है
अल्फ़ाज़ नर्म हो गए लहजे बदल गए
किन ज़मीनों पे उतारोगे इमदाद का क़हर
कहानी में छोटा सा किरदार है
कोई स्कूल की घंटी बजा दे