ये किस अज़ाब में छोड़ा है तू ने इस दिल को
सुकून याद में तेरी न भूलने में क़रार
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दिल उस से लगा जिस से रूठा भी नहीं जाता
हर सम्त फ़लक-बोस पहाड़ों की क़तारें
पर्दे में ख़मोशी के बुर्के में उदासी के
बुत बने राह तकोगे कब तक
ज़िंदगी तुझ पे गिराँ है तू मरेगा कैसे
इक ज़माने से फ़लक ठहरा हुआ लगता है
आ दिल में तुझे कहीं छुपा लूँ
कुछ हश्र से कम गर्मी-ए-बाज़ार नहीं है
दिल ने किस मंज़िल-ए-बे-नाम में छोड़ा था मुझे
जब तुझे भूलना चाहा दिल ने
इक उम्र फ़साने ग़म-ए-जानाँ के गढ़े हैं
आओ कि अभी छाँव सितारों की घनी है