ख़ुश-जमालों की याद आती है
बे-मिसालों की याद आती है
बाइस-ए-रश्क मेहर-ओ-माह थे जो
उन हिलालों की याद आती है
जिन की आँखों में था सुरूर-ए-ग़ज़ल
उन ग़ज़ालों की याद आती है
सादगी ला-जवाब है जिन की
उन सवालों की याद आती है
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हज़ार नक़्स हैं मुझ में मिरे कमाल को देख
तमीज़-ए-ख़्वाब-ओ-हक़ीक़त है शर्त-ए-बेदारी
दिल की बस्ती अजीब बस्ती है
कैफ़ जो रूह पे तारी है तुझे क्या मालूम
देर से आ रही है याद तिरी
जाने वाले कभी नहीं आते
ख़ुशी याद आई न ग़म याद आए
बहार आए तो ख़ुद ही लाला ओ नर्गिस बता देंगे
हसीं यादों से ख़ल्वत अंजुमन है
रंग लाया दिवाना-पन मेरा
शमीम ज़ुल्फ़-ए-यार आए न आए