इश्क़ दोनों तरफ़ सूँ होता है
क्यूँ बजे एक हात सूँ ताली
Wasi Shah
Anwar Masood
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Rahat Indori
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(371) Peoples Rate This
उश्शाक़ का दिल दाग़ का अंदाज़ा हुआ महज़
जुनूँ के शहर में नीं कम-अयार कूँ हुर्मत
नक़्द-ए-दिल-ए-ख़ालिस कूँ मिरी क़ल्ब तूँ मत जान
जान ओ दिल सीं मैं गिरफ़्तार हूँ किन का उन का
सनम किस बंद सीं पहुँचूँ तिरे पास
चराग़-ए-मह सीं रौशन-तर है हुस्न-ए-बे-मिसाल उस का
पेच खा खा कर हमारी आह में गिर्हें पड़ीं
इस लब कूँ कब पसंद हैं रस्मी कटोरियाँ
हवस की आँख सीं वो चेहरा-ए-रौशन न देखोगे
ग़ैर तरफ़ क्यूँकि नज़र कर सकूँ
अबस इन शहरियों में वक़्त अपना हम किए ज़ाए
सनम जब चीरा-ए-ज़र-तार बाँधे