Ghazals of Sirajuddin Zafar

Ghazals of Sirajuddin Zafar
नामसिराजुद्दीन ज़फ़र
अंग्रेज़ी नामSirajuddin Zafar
जन्म की तारीख1912
मौत की तिथि1972

यारब सराब-ए-अहल-ए-हवस से नजात दे

उठो ज़माने के आशोब का इज़ाला करें

शायद रुख़-ए-हयात से सरके नक़ाब और

शौक़ रातों को है दरपय कि तपाँ हो जाऊँ

शौक़ रातों को है दर पे कि तपाँ हो जाऊँ

साग़र उठा के ज़ोहद को रद हम ने कर दिया

मौसम-ए-गुल तिरे इनआ'म अभी बाक़ी हैं

मैं ने कहा कि तजज़िया-ए-जिस्म-ओ-जाँ करो

इस्लाह-ए-अहल-ए-होश का यारा नहीं हमें

हम दिल-ए-ज़ोहरा-वशाँ में ख़ालिक़-ए-अंदेशा हैं

हम आहुवान-ए-शब का भरम खोलते रहे

दिन को बहर-ओ-बर का सीना चीर कर रख दीजिए

दर-ए-मय-ख़ाना से दीवार-ए-चमन तक पहुँचे

बग़ैर-ए-साग़र-ओ-यार-ए-जवाँ नहीं गुज़रे

बग़ैर साग़र ओ यार-ए-जवाँ नहीं गुज़रे

और खुल जा कि मआ'रिफ़ की गुज़रगाहों में

ऐ अहल-ए-नज़र सोज़ हमीं साज़ हमीं हैं

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