तन्हाई की रात
गर्मी
और बर्फ़ानी रात
तारे
सर्द शरारे
चाँदनी
ठंडी धूप
रात
अँधियारों की
गर्म तहों से
लिपटी हुई है
काँप रही है
Javed Akhtar
Anwar Masood
Rahat Indori
Parveen Shakir
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Allama Iqbal
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ये मरहला-हा-ए-शौक़ तौबा तौबा
कितनी हंगामा-ख़ू तमन्नाएँ
सुकून-ए-क़ल्ब ओ शकेब-ए-नज़र की बात करो
जब अश्क तिरी याद में आँखों से ढले हैं
उठाते हैं मज़े जौर-ओ-सितम के
इक फ़क़त याद है जाना उन का
या क़ल्ब को दर्द में डुबोना सीखो
वो हुस्न को जल्वा-गर करेंगे
इस आलम-ए-वीराँ में क्या अंजुमन-आराई
अफ़्साना-हा-ए-दर्द सुनाते चले गए
सीने में उछल रही है हसरत मेरी
हर ज़हर को तिरयाक़ समझ कर पी लो