देखे हैं बहुत हम ने हंगामे मोहब्बत के
आग़ाज़ भी रुस्वाई अंजाम भी रुस्वाई
Rahat Indori
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जब भी दो आँसू निकल कर रह गए
अफ़्साना-ए-ग़म है शादमानी मेरी
तुझ को आते ही नहीं छुपने के अंदाज़ अभी
इश्क़ की इब्तिदा है सोज़-ए-दरूँ
ग़म-नसीबों को किसी ने तो पुकारा होगा
वो वुसअतें थीं दिल में जो चाहा बना लिया
न जाने कट गया किस बे-ख़ुदी के आलम में
इस आलम-ए-वीराँ में क्या अंजुमन-आराई
नाला-ए-सबा तन्हा फूल की हँसी तन्हा
दिल की हर आरज़ू है ख़्वाबीदा
बादल
उठी है जो क़दमों से वो दामन से अड़ी है