आसाँ नहीं हाल-ए-दिल अयाँ हो जाना
ख़ामोशी से तुम न बद-गुमाँ हो जाना
ख़ुद्दारी-ए-इश्क़ ने सिखाया मुझ को
दिल दे के किसी को बे-ज़बाँ हो जाना
Parveen Shakir
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
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Allama Iqbal
Gulzar
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मोहब्बत किस क़दर सेहर-आफ़रीं मालूम होती है
बरसात की छा गईं घटाएँ साक़ी
तिरी महफ़िल में सोज़-ए-जावेदानी ले के आया हूँ
सब सब्र-ओ-शकेब-ओ-होश खो देता हूँ
काविश-ए-बेश-ओ-कम की बात न कर
ऐसे भी थे कुछ हालात
ख़ामोशी का राज़ खोलना भी सीखो
अब वलवले इश्क़ के तमन्ना में नहीं
आँखों में ख़ुमार-ए-शौक़-अफ़ज़ा ले कर
सुरय्या की गुड़िया
अरबाब-ए-वफ़ा की जाँ-गुदाज़ी देखी
नज़्म