सब सब्र-ओ-शकेब-ओ-होश खो देता हूँ
करता हूँ किसी को याद रो देता हूँ
उम्मीदों का इक जहान कर के आबाद
तूफ़ान में यास के डुबो देता हूँ
Javed Akhtar
Anwar Masood
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Gulzar
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(811) Peoples Rate This
लहू फ़क़ीरों का सोज़-ए-यक़ीं से था जब गर्म
नज़र में ढल के उभरते हैं दिल के अफ़्साने
ये आज आए हैं किस अजनबी से देस में हम
उठी है जो क़दमों से वो दामन से अड़ी है
मिटी मिटी हुई यादों के दाग़ क्या जलते?
क्या हुआ जो सितारे चमकते नहीं दाग़ दिल के फ़रोज़ाँ करो दोस्तो
निगाहें दर पे लगी हैं उदास बैठे हैं
खुल के रोने की तमन्ना थी हमें
जाने किस की थी ख़ता याद नहीं
हज़ार गर्दिश-ए-शाम-ओ-सहर से गुज़रे हैं
अफ़्साना-ए-ग़म है शादमानी मेरी
नाला-ए-सबा तन्हा फूल की हँसी तन्हा