शादाँ हूँ कि ग़मनाक पिए जाता हूँ
हूँ दुश्मन-ए-अफ़्लाक पिए जाता हूँ
दुनिया मुझे मय-नोश कहे जाती है
और मैं हूँ कि बेबाक पिए जाता हूँ
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अजनबी ख़त-ओ-ख़ाल
तुम आसमाँ की तरफ़ न देखो
क्या हुआ जो सितारे चमकते नहीं दाग़ दिल के फ़रोज़ाँ करो दोस्तो
मैं आ रहा हूँ
खुल के रोने की तमन्ना थी हमें
ऐसे भी थे कुछ हालात
वफ़ा की आख़िरी मंज़िल भी आ रही है क़रीब
ये क्या कि इक जहाँ को करो वक़्फ़-ए-इज़्तिराब
आसाँ नहीं हाल-ए-दिल अयाँ हो जाना
इस निय्यत से तंग आ के रोए हम लोग
देखो शब-ए-हिज्र की दराज़ी देखो
वो मुझ से हुए हम-कलाम अल्लाह अल्लाह