ये ज़िंदगी की रात है तारीक किस क़दर
दोनों सिरों पे शम्अ जलाओ नशे में आओ
Anwar Masood
Habib Jalib
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Gulzar
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
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दीवाने दीवाने ठहरे खेल गए अँगारों से
ख़लिश सुकूँ का मुदावा नहीं तो कुछ भी नहीं
रहना तुम चाहे जहाँ ख़बरों में आते रहना
शमएँ रौशन हैं आबगीनों में
जमालियात
बर्क़ सर-ए-शाख़-सार देखिए कब तक रहे
हालात से फ़रार की क्या जुस्तुजू करें
नए गुल खिले नए दिल बने नए नक़्श कितने उभर गए
तुझ से मिल कर दिल में रह जाती है अरमानों की बात
ले के तेशा उठा है फिर मज़दूर
ज़बाँ तक जो न आए वो मोहब्बत और होती है
है जिस की ठोकरों में आब-ए-ज़ि़ंदगी 'वामिक़'