इतना न पास आ कि तुझे ढूँडते फिरें
इतना न दूर जा के हमा-वक़्त पास हो
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(748) Peoples Rate This
लाज़िम कहाँ कि सारा जहाँ ख़ुश-लिबास हो
सफ़ेद फूल मिले शाख़-ए-सीम-बर के मुझे
मंज़र था राख और तबीअत उदास थी
थी नींद मेरी मगर उस में ख़्वाब उस का था
आसमाँ पर अब्र-पारे का सफ़र मेरे लिए
जब आँख खुली मेरी
ख़ुद अपने ग़म ही से की पहले दोस्ती हम ने
कहने को चंद गाम था ये अरसा-ए-हयात
न आँखें ही झपकता है न कोई बात करता है
इक बे-अंत वजूद
धार सी ताज़ा लहू की शबनम-अफ़्शानी में है
भूत