इतनी तो दीद-ए-इश्क़ की तासीर देखिए
जिस सम्त देखिए तिरी तस्वीर देखिए
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Gulzar
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Allama Iqbal
Anwar Masood
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Habib Jalib
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(844) Peoples Rate This
तुम्हारी ज़ुल्फ़ न गिर्दाब-ए-नाफ़ तक पहुँची
चश्म वा रह गई देखा जो तिलिस्मात-ए-जहाँ
जो अदू-ए-बाग़ हो बरबाद हो
अहवाल-ए-मज़ाहिब से ये साबित हुआ हम को
बात भी आप के आगे न ज़बाँ से निकली
साक़िया अब के बड़े ज़ोरों पे हैं हम मय-परस्त
बे-ताबी-ए-दिल ने ज़ार-पा कर
महशर का हमें क्या ग़म इस्याँ किसे कहते हैं
रंग है ऐ साक़ी-ए-सरशार क़ैसर-बाग़ में
अब तो साहब की हुई ख़ातिर जम्अ'
तुम हर इक रंग में ऐ यार नज़र आते हो
हम भी ज़रूर कहते किसी काम के लिए