अब्बास ताबिश कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अब्बास ताबिश (page 4)
नाम | अब्बास ताबिश |
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अंग्रेज़ी नाम | Abbas Tabish |
जन्म की तारीख | 1961 |
जन्म स्थान | Lahore |
पस-ए-ग़ुबार मदद माँगते हैं पानी से
पस-ए-ग़ुबार भी उड़ता ग़ुबार अपना था
परिंदे पूछते हैं तुम ने क्या क़ुसूर किया
पाँव पड़ता हुआ रस्ता नहीं देखा जाता
पानी आँख में भर कर लाया जा सकता है
नींदों का एक आलम-ए-असबाब और है
निगाह-ए-अव्वलीं का है तक़ाज़ा देखते रहना
नक़्श सारे ख़ाक के हैं सब हुनर मिट्टी का है
न तुझ से है न गिला आसमान से होगा
मुसाफ़िरत में शब-ए-वग़ा तक पहुँच गए हैं
मुझ तही-जाँ से तुझे इंकार पहले तो न था
मेरी तन्हाई बढ़ाते हैं चले जाते हैं
मिरे बदन में लहू का कटाव ऐसा था
मेरे आ'साब मोअ'त्तल नहीं होने देंगे
मकाँ-भर हम को वीरानी बहुत है
मैं अपने इश्क़ को ख़ुश-एहतिमाम करता हुआ
मह-रुख़ जो घरों से कभी बाहर निकल आए
कुंज-ए-ग़ज़ल न क़ैस का वीराना चाहिए
कोई टकरा के सुबुक-सर भी तो हो सकता है
कोई मिलता नहीं ये बोझ उठाने के लिए
खा के सूखी रोटियाँ पानी के साथ
कस कर बाँधी गई रगों में दिल की गिरह तो ढीली है
जो भी मिन-जुम्ला-ए-अश्जार नहीं हो सकता
झिलमिल से क्या रब्त निकालें कश्ती की तक़दीरों का
जहान-ए-मर्ग-ए-सदा में इक और सिलसिला ख़त्म हो गया है
इतना आसाँ नहीं मसनद पे बिठाया गया मैं
इश्क़ की जोत जगाने में बड़ी देर लगी
हम ने चुप रह के जो एक साथ बिताया हुआ है
हवा-ए-तेज़ तिरा एक काम आख़िरी है
हवा-ए-मौसम-ए-गुल से लहू लहू तुम थे