अब्बास ताबिश कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अब्बास ताबिश (page 5)
नाम | अब्बास ताबिश |
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अंग्रेज़ी नाम | Abbas Tabish |
जन्म की तारीख | 1961 |
जन्म स्थान | Lahore |
हर-चंद तिरी याद जुनूँ-ख़ेज़ बहुत है
हँसने नहीं देता कभी रोने नहीं देता
फ़क़त माल-ओ-ज़र-ए-दीवार-ओ-दर अच्छा नहीं लगता
एक क़दम तेग़ पे और एक शरर पर रक्खा
एक मुश्किल सी बहर-तौर बनी होती है
डूब कर भी न पड़ा फ़र्क़ गिराँ-जानी में
दिल दुखों के हिसार में आया
दी है वहशत तो ये वहशत ही मुसलसल हो जाए
दश्त-ए-हैरत में सबील-ए-तिश्नगी बन जाइए
दश्त में प्यास बुझाते हुए मर जाते हैं
दर-ए-उफ़ुक़ पे रक़म रौशनी का बाब करें
दम-ए-सुख़न ही तबीअ'त लहू लहू की जाए
दहन खोलेंगी अपनी सीपियाँ आहिस्ता आहिस्ता
चश्म-ए-नम-दीदा सही ख़ित्ता-ए-शादाब मिरा
चराग़-ए-सुब्ह जला कोई ना-शनासी में
चाँद को तालाब मुझ को ख़्वाब वापस कर दिया
चाँद का पत्थर बाँध के तन से उतरी मंज़र-ए-ख़्वाब में चुप
बयाँ अपनी हक़ीक़त कर रहा हूँ
बैठता उठता था मैं यारों के बीच
बहुत बे-कार मौसम है मगर कुछ काम करना है
बदन के चाक पर ज़र्फ़-ए-नुमू तय्यार करता हूँ
बचपन का दौर अहद-ए-जवानी में खो गया
अजीब तौर की है अब के सरगिरानी मिरी
अजब सौदा-ए-वहशत है दिल-ए-ख़ुद-सर में रहता है
ऐसे तो कोई तर्क सुकूनत नहीं करता
अब परिंदों की यहाँ नक़्ल-ए-मकानी कम है
अब मोहब्बत न फ़साना न फ़ुसूँ है यूँ है
अब अधूरे इश्क़ की तकमील ही मुमकिन नहीं
आँख पे पट्टी बाँध के मुझ को तन्हा छोड़ दिया है