Love Poetry of Abbas Tabish

Love Poetry of Abbas Tabish
नामअब्बास ताबिश
अंग्रेज़ी नामAbbas Tabish
जन्म की तारीख1961
जन्म स्थानLahore

ये तो अब इश्क़ में जी लगने लगा है कुछ कुछ

ये मोहब्बत की कहानी नहीं मरती लेकिन

तिरी मोहब्बत में गुमरही का अजब नशा था

न ख़्वाब ही से जगाया न इंतिज़ार किया

मुझ से तो दिल भी मोहब्बत में नहीं ख़र्च हुआ

मोहब्बत एक दम दुख का मुदावा कर नहीं देती

मसरूफ़ हैं कुछ इतने कि हम कार-ए-मोहब्बत

इश्क़ कर के भी खुल नहीं पाया

इल्तिजाएँ कर के माँगी थी मोहब्बत की कसक

हिज्र को हौसला और वस्ल को फ़ुर्सत दरकार

इक मोहब्बत ही पे मौक़ूफ़ नहीं है 'ताबिश'

दे इसे भी फ़रोग़-ए-हुस्न की भीक

बस एक मोड़ मिरी ज़िंदगी में आया था

बैठे रहने से तो लौ देते नहीं ये जिस्म ओ जाँ

वो हँसती है तो उस के हाथ रोते हैं

उसे मैं ने नहीं देखा

परों में शाम ढलती है

पागल

अँदेशा-ए-विसाल की एक नज़्म

अभी उस की ज़रूरत थी

ये वाहिमे भी अजब बाम-ओ-दर बनाते हैं

ये तो नहीं फ़रहाद से यारी नहीं रखते

ये देख मिरे नक़्श-ए-कफ़-ए-पा मिरे आगे

ये अजब साअत-ए-रुख़्सत है कि डर लगता है

वो कौन है जो पस-ए-चश्म-ए-तर नहीं आता

वो चाँद हो कि चाँद सा चेहरा कोई तो हो

वो आने वाला नहीं फिर भी आना चाहता है

उस का ख़याल ख़्वाब के दर से निकल गया

टूट जाने में खिलौनों की तरह होता है

तिलिस्म-ए-ख़्वाब से मेरा बदन पत्थर नहीं होता

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