Coupletss of Abbas Tabish

Coupletss of Abbas Tabish
नामअब्बास ताबिश
अंग्रेज़ी नामAbbas Tabish
जन्म की तारीख1961
जन्म स्थानLahore

ये ज़मीं तो है किसी काग़ज़ी कश्ती जैसी

ये तो अब इश्क़ में जी लगने लगा है कुछ कुछ

ये मोहब्बत की कहानी नहीं मरती लेकिन

ये मौज मौज बनी किस की शक्ल सी 'ताबिश'

वर्ना कोई कब गालियाँ देता है किसी को

वक़्त लफ़्ज़ों से बनाई हुई चादर जैसा

उन आँखों में कूदने वालो तुम को इतना ध्यान रहे

तू भी ऐ शख़्स कहाँ तक मुझे बर्दाश्त करे

तिलिस्म-ए-ख़्वाब से मेरा बदन पत्थर नहीं होता

तेरी रूह में सन्नाटा है और मिरी आवाज़ में चुप

तिरी मोहब्बत में गुमरही का अजब नशा था

सुन रहा हूँ अभी तक मैं अपनी ही आवाज़ की बाज़गश्त

शब की शब कोई न शर्मिंदा-ए-रुख़स्त ठहरे

रात को जब याद आए तेरी ख़ुशबू-ए-क़बा

रात कमरे में न था मेरे अलावा कोई

फिर इस के ब'अद ये बाज़ार-ए-दिल नहीं लगना

पस-ए-ग़ुबार भी उड़ता ग़ुबार अपना था

पहले तो हम छान आए ख़ाक सारे शहर की

निहाल-ए-दर्द ये दिन तुझ पे क्यूँ उतरता नहीं

न ख़्वाब ही से जगाया न इंतिज़ार किया

मुझ से तो दिल भी मोहब्बत में नहीं ख़र्च हुआ

मोहब्बत एक दम दुख का मुदावा कर नहीं देती

मिलती नहीं है नाव तो दरवेश की तरह

मेरे सीने से ज़रा कान लगा कर देखो

मेरा रंज-ए-मुस्तक़िल भी जैसे कम सा हो गया

मसरूफ़ हैं कुछ इतने कि हम कार-ए-मोहब्बत

मकीं जब नींद के साए में सुस्ताने लगें 'ताबिश'

मैं जिस सुकून से बैठा हूँ इस किनारे पर

मैं हूँ इस शहर में ताख़ीर से आया हुआ शख़्स

मैं अपने आप में गहरा उतर गया शायद

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