आदिल मंसूरी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का आदिल मंसूरी (page 4)
नाम | आदिल मंसूरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Adil Mansuri |
जन्म की तारीख | 1936 |
मौत की तिथि | 2009 |
जन्म स्थान | Ahmadabad |
न कोई रोक सका ख़्वाब के सफ़ीरों को
मुझे पसंद नहीं ऐसे कारोबार में हूँ
कौन था वो ख़्वाब के मल्बूस में लिपटा हुआ
जो चीज़ थी कमरे में वो बे-रब्त पड़ी थी
जीता है सिर्फ़ तेरे लिए कौन मर के देख
जलने लगे ख़ला में हवाओं के नक़्श-ए-पा
इबलाग़ के बदन में तजस्सुस का सिलसिला
हुआ ख़त्म दरिया तो सहरा लगा
होने को यूँ तो शहर में अपना मकान था
हाथ में आफ़्ताब पिघला कर
हर ख़्वाब काली रात के साँचे में ढाल कर
हज का सफ़र है इस में कोई साथ भी तो हो
घूम रहा था एक शख़्स रात के ख़ारज़ार में
गाँठी है उस ने दोस्ती इक पेश-इमाम से
एक क़तरा अश्क का छलका तो दरिया कर दिया
दूर उफ़ुक़ के पार से आवाज़ के पर्वरदिगार
दरवाज़ा बंद देख के मेरे मकान का
चेहरे पे चमचमाती हुई धूप मर गई
चारों तरफ़ से मौत ने घेरा है ज़ीस्त को
बिस्मिल के तड़पने की अदाओं में नशा था
भूल कर भी न फिर मलेगा तू
बदन पर नई फ़स्ल आने लगी
अब टूटने ही वाला है तन्हाई का हिसार
आशिक़ थे शहर में जो पुराने शराब के