हमराह अदम से इज़्तिराब आया है
मेरे लिए दुनिया में अज़ाब आया है
तिफ़्ली में पड़ी थी दोनों हाथों पर मार
अब दिल की है बारी कि शबाब आया है
Gulzar
Anwar Masood
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(677) Peoples Rate This
अश्क आए ग़म-ए-शह से जो चश्म-ए-तर में
नाज़ कर नाज़ तिरे नाज़ पे है नाज़ मुझे
मोहब्बत ने 'माइल' किया हर किसी को
कहते हैं कि रौनक़-ए-जमाली हूँ मैं
ग़ैर का हाल तो कहता हूँ नुजूमी बन कर
आफ़्ताब आए चमक कर जो सर-ए-जाम-ए-शराब
शब-ए-माह में जो पलंग पर मिरे साथ सोए तो क्या हुए
मैं ही मोमिन मैं ही काफ़िर मैं ही काबा मैं ही दैर
पैदल न मुझे रोज़-ए-शुमार उन से दे
आसमाँ खाए तो ज़मीन देखे
निकली जो रूह हो गए अजज़ा-ए-तन ख़राब
माना वाइ'ज़ बड़ा ही अल्लामा है