कोई जंगल में गा रहा है गीत
धीमी आवाज़ दुख भरा लहजा
दिल को गोया ये मिल गया है हुक्म
अश्क-ए-ख़ूँ बन के आँख से बह जा
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Wasi Shah
Habib Jalib
Rahat Indori
Gulzar
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(708) Peoples Rate This
आईना-ए-निगाह में अक्स-ए-शबाब है
मैं दिल को चीर के रख दूँ ये एक सूरत है
आता नहीं साँसों में मज़ा पीने का
याद-ए-माज़ी अज़ाब है या-रब
अब वो सीना है मज़ार-ए-आरज़ू
मौत की सी पुर-सुकूँ वीरानियाँ
तैरे गीतों की लय अरे तौबा
कर दिया हाफ़िज़े में हश्र बपा
मिरी ख़बर तो किसी को नहीं मगर 'अख़्तर'
आसूदगी-ए-ज़ात नहीं हो सकती
क़सम इन आँखों की जिन से लहू टपकता है
गोशा-ए-बाग़ और बज़्म-ए-तरब