Love Poetry of Akhtar Shahjahanpuri
नाम | अख़तर शाहजहाँपुरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Akhtar Shahjahanpuri |
कविताएं
Ghazal 16
Couplets 1
Love 11
Sad 9
Heart Broken 12
Hope 11
Friendship 5
Islamic 2
Sufi 1
बारिश 3
ख्वाब 1
Sharab 2
वक़्त बे-रहम है मक़्तल की ज़मीनों जैसा
समुंदर सब के सब पायाब से हैं
लम्हा लम्हा यही सोचूँ यही देखा चाहूँ
कहाँ से लाएँगे आँसू अज़ा-दारी के मौसम में
जो क़तरे में समुंदर देखते हैं
जो फ़क़त शोख़ी-ए-तहरीर भी हो सकती है
जब मुख़ालिफ़ मिरा राज़-दाँ हो गया
हाथ जब मौसम के गीले हो गए हैं
इक उम्र भटकते रहे घर ही नहीं आया
दिल बहलने के वसीले दे गया वो
अगर बुलंदी का मेरी वो ए'तिराफ़ करे