मोनिस-ए-शब रफ़ीक़-ए-तन्हाई
दर्द-ए-दिल भी किसी से कम तो नहीं
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होली
शौक़-ए-मंज़िल हम-सफ़र है जज़्बा-ए-दिल राहबर
हैं वजूद-ए-शय में पिन्हाँ अज़ल ओ अबद के रिश्ते
हम अहल-ए-दिल ने मेयार-ए-मोहब्बत भी बदल डाले
लज़्ज़त-ए-दर्द मिली इशरत-ए-एहसास मिली
जब छेड़ती हैं उन को गुमनाम आरज़ुएँ
राह-ए-उल्फ़त में मिले ऐसे भी दीवाने मुझे
ऐश ही ऐश है न सब ग़म है
ग़ैर पूछें भी तो हम क्या अपना अफ़्साना कहें
जब कभी देखा है ऐ 'ज़ैदी' निगाह-ए-ग़ौर से
इक आह-ए-ज़ेर-ए-लब के गुनहगार हो गए