परेशाँ कारोबार-ए-आश्नाई
परेशाँ-तर मिरी रंगीं नवाई
कभी मैं ढूँढता हूँ लज़्ज़त-ए-वस्ल
ख़ुश आता है कभी सोज़-ए-जुदाई
Faiz Ahmad Faiz
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सितारों से आगे जहाँ और भी हैं
परिंदे की फ़रियाद
हर शय मुसाफ़िर हर चीज़ राही
तराना-ए-मिल्ली
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा
ख़ुदा तुझे किसी तूफ़ाँ से आश्ना कर दे
जिन्हें मैं ढूँढता था आसमानों में ज़मीनों में
इल्तिजा-ए-मुसाफ़िर
एजाज़ है किसी का या गर्दिश-ए-ज़माना
फ़िर्क़ा-बंदी है कहीं और कहीं ज़ातें हैं
मुरीद-ए-सादा तो रो रो के हो गया ताइब
तुलू-ए-इस्लाम