तिरी दुनिया जहान-ए-मुर्ग़-ओ-माही
मिरी दुनिया फ़ुग़ान-ए-सुब्ह-गाही
तिरी दुनिया में मैं महकूम ओ मजबूर
मिरी दुनिया में तेरी पादशाही
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Gulzar
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की हक़ से फ़रिश्तों ने 'इक़बाल' की ग़म्माज़ी
ख़ुदी की जल्वतों में मुस्तफ़ाई
आलम-ए-आब-ओ-ख़ाक-ओ-बाद सिर्र-ए-अयाँ है तू कि मैं
जवानों को मिरी आह-ए-सहर दे
नाला-ए-फ़िराक़
अक़्ल को तन्क़ीद से फ़ुर्सत नहीं
मजनूँ ने शहर छोड़ा तो सहरा भी छोड़ दे
बच्चे की दुआ
शुऊर ओ होश ओ ख़िरद का मोआमला है अजीब
सवार-ए-नाक़ा-ओ-महमिल नहीं मैं
अपने मन में डूब कर पा जा सुराग़-ए-ज़ि़ंदगी
निकल जा अक़्ल से आगे कि ये नूर