इक दर्द हो बस आठ पहर दिल में कि जिस को
तख़फ़ीफ़ दवा से हो न तस्कीन दुआ से
Parveen Shakir
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Jaun Eliya
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Gulzar
Allama Iqbal
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तुम को हज़ार शर्म सही मुझ को लाख ज़ब्त
मेडिकल टेस्ट
इंक़लाब-ए-रोज़गार
मिट्टी का दिया
फ़रिश्ते से बढ़ कर है इंसान बनना
है जुस्तुजू कि ख़ूब से है ख़ूब-तर कहाँ
आगे बढ़े न क़िस्सा-ए-इश्क़-ए-बुताँ से हम
बुरी और भली सब गुज़र जाएगी
दिल से ख़याल-ए-दोस्त भुलाया न जाएगा
दिल को दर्द-आश्ना किया तू ने
मुख़ालिफ़त का जवाब ख़ामोशी से बेहतर नहीं
जीते जी मौत के तुम मुँह में न जाना हरगिज़